गजब का रवैया है प्रशासनिक अधिकारियों का दुष्कर्म जैसे गंभीर मामले में भी लीपापोती करने में जुट जाते है। राष्ट्रबन्धु में समाचार प्रसारित होने के बाद जिले से लेकर राजधानी तक मचा हड़कंप। आनन फानन में रात 10 बजे तक महिला बाल विकास और सीडब्लूसी अधिकारी दफ्तर में बैठ कर करते रहे लिखापढ़ी।
विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि रात 9.30 बजे से देर रात 12 बजे तक दो महिला अधिकारी जीआरपी दुर्ग में अपराध दर्ज कराने की कोशिश करते रहे लेकिन कुम्भकर्णीय नींद में सोई दुर्ग जीआरपी पुलिस में अपराध दर्ज नही हो सका, एक बार फिर इस दिल दहला देने वाले मामले में एक बार फिर महिला अधिकारी अपराध दर्ज कराने की कोशिश करेंगी
रीतेश तिवारी दुर्ग 12 साल की मासूम बच्ची से ट्रेन में हुए दुष्कर्म के मामले में जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों की खूब लीपापोती चली लेकिन राष्ट्रबन्धु समाचार में खबर लगने के बाद जैसे इन सोये हुए अधिकारियों की नींद ही गायब हो गयी हो। तमाम हूल हवाइयां के बाद आखिरकार रात दस बजे तक अपने सरकारी दफ्तर में बैठ कर कार्यवाही करने को मजबूर हो गए। जी हा एक 12 साल की मासूम बच्ची जिसे ये जिम्मेदार मानसिक रोगी तक कह डाले आज उसी पीड़ित बच्ची के लिए सार्वजनिक अवकाश के दिन भी ये कार्यवाही करते रहे । कागजी कार्यवाही ऐसी चली की रात दस बजे तक दफ्तर में नियम कानून का पाठ इनको पढ़ना पढा तब जा कर कही घटना से जुड़े अपराध की सही विवेचना लिख पाये। वही वर्षो से सुस्त बैठी दुर्ग जीआरपी अभी भी सुस्त बैठी है। नींद से जागे महिला बाल विकास विभाग और सीडब्लूसी के अधिकारी जीआरपी दुर्ग के चक्कर काट रहे है।
रविवार की रात 9.30 बजे से लेकर दो महिला अधिकारी जीआरपी चौकी दुर्ग में बच्ची से जुड़ी गंभीर घटना के बारे में अपराध दर्ज कराने की भर्शक कोशिस करते रहे लेकिन दुर्ग जीआरपी ने रात में अपराध दर्ज नही किया जबरन ये अधिकारी 3 घंटा बैठे रहे उसके बाद रात 12 बजे अपने घर लौट गये जबकि जीआरपी को अपराध दर्ज करने के लिए न्यायिक पीठ संस्था सीडब्लूसी ने निर्देशित किया था उसके बाद भी दुर्ग जीआरपी ने अपराध दर्ज नही किया सुबह एफआईआर दर्ज करने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। हद हो गई एक पीड़ित बच्ची के साथ हैवानियत की सारी हदें पार हो गई । सरकारी तंत्र पिछले 18 दिनों से गोल मटोल कर रहा था घटना दुर्ग स्टेशन की थी और सरकारी विभाग जिला पुलिस मोहन नगर थाने को मामला दर्ज करने के लिए पत्र व्यवहार कर रहा था राष्ट्रबन्धु कि खबर के बाद जिला पुलिस के आला अधिकारियों ने त्वरित कार्यवाही करते हुए विवेचना की जिसके बाद पता चला मामला दुर्ग जीआरपी चौकी का है। दुर्ग शहर के सीएसपी विवेक शुक्ला खुद जीआरपी दुर्ग पहुच कर छानबीन की तो जीआरपी के सरकारी रजिस्टर में बच्ची के ट्रेन में मिलने की बात लिखी हुई दर्ज थी उसके बाद जीआरपी प्रभारी को त्वरित कार्यवाही करने को कहा गया लेकिन दुर्ग जीआरपी पुलिस पहले भी नींद में थी और आज भी नींद में है। अब देखना होगा कि ऐसे गंभीर मामले में अपराध दर्ज न करने वाले रेल पुलिस पर इनके आला अधिकारी कोई कार्यवाही करते है कि नही, देखना होगा कि पीड़ित बच्ची के साथ हैवानियत करने आरोपियों को सुस्त जीआरपी दुर्ग पुलिस पकड़ पाती है कि नही।
हम भर्शक प्रयास कर रहे कि जीआरपी अपराध दर्ज कर जांच शुरू करे और जो भी आरोपी हो जल्द पकड़े जाये।
अध्यक्ष सीडब्लूसी दुर्ग।